कल रात रेडियो मिर्ची "पर एक प्रोग्राम आ रहा था बहुत प्यारे गाने ....टॉपिक था "SOUlMATE"....कितना रुहानी सा शब्द है ना ..
कुछ लोग ये ज़रूर सोचेंगे कि कभी – कभी हमें अपने जीवन में कोई ऐसा मिलता है कि हमें थोड़े समय के लिए लगता है कि यही वो इन्सांन है जो मेरा soulmate है पर कुछ समय बाद feelings change हो जाती हैं, तो इस बात पर मैं ये कहूँगी कि finding a soul – mate is a journey और इस सफ़र के पूरे होने कि अवधि निर्भर करती आपकी तलाश पर.
तो क्या आप नहीं चाहेंगे की आपको आपकी आत्मा का वो आधा हिस्सा मिले जिस से मिलने के बाद ही आप पूरे होते हैं. तो कौन है आपका सोलमेट?....है तो यहीं कहीं इसी दुनिया में ईश्वर के बनाये इसी संसार में सिर्फ आपके लिए . “only for you”. वो आपकी आत्मा पर लगे हर घाव को भर देगा .. यह तो एक तलाश है, सफ़र है दो आत्माओं के एक होने का और अपने सम्पूर्णता के चरम पर पहुँचने का .
Soulmate को ढूंढ़ने के सफ़र कि बात पर किसी शायर ने भी क्या खूब कहा है,
जिस्म कि बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है ………
आपका soulmate कोई भी हो सकता है. शारीरिक आकर्षण से परे वो आपका जीवन साथी हो सकता है, भाई- बहन, दोस्त, पड़ोसी, आपका टीचर ,किसी भी आयु का कहीं भी रहने वाला कोई भी व्यक्ति. अक्सर लोग soulmate शब्द को marriage से connect करते हैं. ईश्वर ने जब ये दुनिया बनायी तो इस दुनियां को बढ़ाने के लिए एक मर्द बनाया औए एक औरत बनायी साथ ही मानव को एक developed और civilized brain दिया. हम सब यह जानते हैं कि मनुष्य तीन तत्वों से मिल कर बना है mind , body and soul . Body कि ज़रुरत की पूर्ति मनुष्य विवाह करके अपने जीवन साथी से कर सकता है. मनुष्य विवाह करता है इसलिए की उसके मन में कहीं न कहीं अकेले रह जाने का भय रहता है और क्योंकि मनुष्य कि प्रवृत्ति होती है प्रेम करने की इस लिए वह किसी न किसी को अपने साथी के रूप में स्वीकार करता है । कुछ लोग शारीरिक तौर पर तो संतुष्ट होते हैं पर मानसिक धरातल या mind level पर कहीं न कहीं अधूरे रहते हैं. Your soulmate makes you feel entirely whole, healed and intact, like no piece is missing from the puzzle. अपनी शारीरिक ज़रूरतों को तो सभी पहचान लेते हैं, चाहे वह पशु हो या मनुष्य . उससे कम लोग अपनी मानसिक ज़रुरत को realize कर पाते हैं और बहुत ही कम व्यक्ति अपनी soul कि need को पहचान पाते हैं. यही कारण है कि इस धरती पर लोग अक्सर अपने soulmate को पहचानने में असफल रहते हैं और एक अधूरा जीवन जी कर इस दुनिया से चले जाते हैं.
अब प्रश्न यह भी उठता है कि soulmate को पहचाना कैसे जाये? तो इसका सीधा सा उत्तर है कि वो पहेली के उस कड़ी कि तरह होता है जिसके मिल जाने से पूरी पहेली सुलझ जाती है. एक soulmate आपके अंदर जो भी undeveloped strengths या desires को पहचान कर उसको एक आकर देता है. स्वाभाविक है कि जब कोई आपको शारीरिक और मानसिक स्तर से ऊपर उठ कर प्रेम करता है तो वो सिर्फ आपकी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी देखता है.
इससे ऊपर एक super soulmate भी है और वो है ईश्वर क्यों कि वह हर प्राणी के soul से connected है उसी ने ही हर महुष्य के लिए कोई न कोई soulmate बनाया है. जिस तरह से एक शरीर को आत्मा पूर्ण करती है उसी तरह से उस आत्मा को पूर्ण होने के लिए भी एक दूसरी soul कि आवश्यता होती है. जो उस soul की भी soul होती है.
ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि आत्मिक सम्बन्धों में emotional challenges नहीं आते पर उसके बावजूद भी जीवन के उतार -चढ़ाव में और असंख्य कमियों के बाद भी जिस से आपकी आत्मा जुडी रहे सही मायनो में वही आपका soulmate है. ‘It’s like finding the half part of your heart’.
इतना ही नहीं आपका soulmate आपका गुरु भी होता है . भगवान् श्री कृष्ण और राधा से अच्छा उदाहरण तो कोई हो ही नहीं सकता. भगवान् श्री कृष्ण, जिन्होंने दुनिया को प्रेम करना सिखाया , उन्होंने राधा जी को अपना गुरु माना क्यों कि प्रेम करना उन्होंने राधा से सीखा, मीरा ने श्री कृष्णा को अपना सर्वस्व समर्पित किया. सोल से जुड़ना किसी को पाने की चरम स्थिति होती है और उस से आगे कोई सीमा नहीं .
यह सत्य है कि मनुष्य के अंदर प्रेम कि अनंत धारा विद्यमान होती है जिस पर अधिकार सिर्फ सीमित लोगो का नहीं हो सकता है यह भी सत्य है है कि उस प्रेम कि धारा का स्रोत होता है उस मनुष्य का soulmate ...इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है सोलमेट का शाब्दिक अर्थ होता है आत्मा से साथी। इस रिश्ते का कोई नाम होने से ज्यादा आपको दिल से फीलिंग आती है। आप दोनों एक दूसरे के साथ खुश रहते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय बिताना पसंद करते है। आप लोग इमोशनली एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा जुड़े होते है। कोई भी रिश्ता परफेक्ट नहीं होता है, सभी में उतार चढाव आते हैं, इसमें भी ऐसी दिक्कतें आती हैं लेकिन इसके बावजूद भी आप दोनों के बीच कोई गलतफहमी नहीं होती है। आप एक दूसरे की हर बात को समझते हैं। आप उन्हें हर बातें बताते हैं आपकी किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या हों, आप उन्हे बताने में नहीं हिचकते हैं। उनके साथ रिश्ते में खटास आने पर भी आप बुरी यादों को हटाकर साथ में रहना ही पसंद करते है।
दिमाग में हर समय बस उसका ही ख्याल हर बात में आना स्वाभाविक है। ऐसा प्यार में भी होता है लेकिन प्यार में ये फीलिंग सिर्फ कुछ महीनों की होती है जबकि सोलमेट के साथ ऐसी फीलिंग हमेशा रहती है।
आप दोनों के बीच दिमागी कनेक्शन इतना स्ट्रांग होता है कि आप दोनों एक साथ ही एक दूसरे को कॉल करने के लिए फोन भी उठाते हैं, इस टर्म को सोलमेट ट्यूनिंग कहते है। आप कभी भी अपने सोलमेट के बिना अपनी लाइफ इमेजिन नहीं कर सकते हैं। सोच भी नहीं सकते है कि अगर वो नहीं होगा/होगी, तो आपको कैसा लगेगा। आप किस के साथ लड़ेगें, किसके साथ हर बात शेयर करेगें। आप दोनों एक दूसरे की आंखों में देखकर हर बात करते हैं। आप दोनों को सिर्फ एक दूसरे का साथ ही काफी है, आपको शब्दों की जरूरत ही नहीं पड़ती, आपकी चुप्पी भी आपके पार्टनर को कारण सहित समझ में आ जाती है।
पर मुझे तो लगता है Soulmate" आईना होता है । हम वाकई मे जो है वो हमे वही बताता है ..हमारी हर बुराई को दिखा कर उसे दूर करवाने की कोशिश करता है चाहे उसके लिये उसे झगड़ना ही क्यू ना पड़े ..वो हमे purify" करने के लिये झकझोर देता है और हमारी आत्मा सॆ हमारा मिलन करवा देता है । और इसने उसका कोई स्वार्थ नहीँ होता बस वो हमारा अच्छा और सिर्फ अच्छा चाहता है । ज़रूरी नहीँ वो हर पल आपके साथ रहत हो ...हो सकता है वो कुछ समय के लिये आपकी जिंदगी मॆ आये पर वो आपके दिल को छुएगा ज़रूर 😍
तो ख़याल रखियेगा कही आपका "SOULMATE" कही पास सॆ ना गुजर जाये ...बहुत मुश्किल सॆ मिलता है ये . इतना कहूंगी ....
बंधन कोई भी हो ...
कुछ धागे है बेनाम , जो हमेशा
बांधकर रखते हैं....
किसे किसने कैसे बाँध लिया
ये समझने की बात नही ,
बस महसूस करने की हैं ।।.
"गीत"